" भीड़ "
भीड़ के पीछे तो पूरी दुनियाँ भागती हैं,
अलग हूँ,
शायद इसलिए ही खुद की राह खुद बनाना चाहता हूँ । ✌️
गलती जो मेरी देखते हैं वो, नहीं जानते शायद
फितरत में नहीं मेरी छीनना किसी से हक़ किसी का । 🤗
तभी मंजिल खुद की मैं खुद बनाता हूँ ।
शायद हूँ गलत नजरों में तेरी
मगर
मंजिल की और अपने फिर भी चलते जाता हूँ । 😇🤘🏻
अलग हूँ ,
शायद इसलिए ही खुद की राह खुद बनाना चाहता हूँ । ✌️
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के प्रतीक्षा में 🙏🤗
व्वा खूप छान लिहिलंय अप्रतिम 👌👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद नित्या ताई 🤗
Deleteअरे वा मस्त च 🙌🏻 खूप खूप छान 👌🏻👌🏻
ReplyDeleteधन्यवाद ☺️🙏
Deleteव्वा व्वा खुप मस्त 👌👌👌
ReplyDeleteलई पावरफुल।✍️👌👌👌
ReplyDelete